जानें पहले घर में सूर्य का फल (sun in 1st house)
मेष लग्न में जन्म लेने वाले जातको के (sun in 1st house) प्रथम भाव में अपने मित्र मंगल की राशि में यदि सूर्य 10 अंश तक है तो, उच्चस्थ सूर्य अपने मित्र मंगल की राशि पर है | अतः जातक स्वभाव में तेज होगा अर्थात क्रोध जल्दी आया करेगा | किन्तु यहीं पर सूर्य तुला राशि में 10 अंश तक स्थित है तो वह नीच का कहलायेगा और वह बहुत ही बिपरीत फल देगा |
प्रथम भाव में सूर्य व्यक्ति को सिरोव्यथा अर्थात सिर से सम्बंधित परेशानियां उत्पन्न करता है | सूर्य आँखों पर भी बिपरीत प्रभाव डालता है | तथा व्यक्ति अल्प केश वाला होता है |
सूर्य प्रथम भाव में है लग्न अर्थात स्वयं, इसलिए जातक तेजस्वी, साहसी, तथा स्वाभिमानी होगा | जातक का माथा चौड़ा होगा |
पंचम भाव का स्वामी होने के कारण सूर्य जातक को विद्वान बनता है | शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सफलता देता है | उच्च शिक्षित होने के कारण व्यौहार कुशलता, धैर्य आदि सद्गुण प्राप्त होंगे |
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पंचम भाव से संतान का विचार किया जाता है अतः ऐसे जातक वहु संतान वाले होते हैं | तथा धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं | ऐसे जातको की संतान पिता का आदर करने वाली होती है |
परंतु सूर्य की सप्तम भाव पर नीच दृष्टि पड़ने के कारण, जातक के दांपत्य सुख में कमी रहेगी | पत्नी (यदि स्त्री की जन्मकुंडली हो तो पति) अधिक सुंदर नहीं होगी |
वैचारिक वैमनस्यता के कारण पति पत्नी में मनमुटाव भी रह सकता है | दैनिक व्यवसाय के क्षेत्र में भी अनेक प्रकार की कठिनाइयां आती रहेंगी | और यदि ऐसे जातक सांझेदारी का कार्य करते हैं तो निश्चित ही बहुत नुकसान उठाना पड़ता है |
मित्रों से ज्यादा दिन तक नहीं पटती है | कभी-कभी तो ऐसे जातकों के मित्र ही शत्रु बन जाते हैं | ऐसे व्यक्तियों का भाग्य प्रवाल होता है | अल्प परिश्रम में ही यथेष्ठ लाभ प्राप्त करते हैं |
ऐसे जातकों को चोट लगाने के कारण अथवा फुंसियां आदि होने के कारण शरीर में स्थाई निशान होते हैं |
सूर्य के उपाय (sun in 1st house)
आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए |
तांवे के लोटे में जल में शहद (honey) मिलकर सूर्य भगवान को जल देना चाहिए |
रविवार का व्रत करना चाहिए |
सूर्य का दान –
ताम्बा, ताम्बे के सूर्य, गेहू, मसूर दाल, गुड़, लाल वस्त्र, लाल फल, लाल फूल, केसर,,लाल चन्दन, लाल गाय, ।
सूर्य का मंत्र –
ओम ह्रां ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः || ॐ घृणि सूर्याय नमः.|| मन्त्र जप संख्या कुल 7,000 | कलयुग में 28,000 हजार जाप करना चाहिए |
सूर्य का रंग – इसका रंग केशरिया माना जाता है |
सूर्य का रत्न – माणिक || मूल – विल्व मूल |
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